भारतीय कारों के लिए जल्द ही बीएस-7 और सीएएफई-III उत्सर्जन मानदंड किए जाएंगे लागू, जानें वजह

भारत सरकार वाहन प्रदूषण से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सख्त नियम लागू करने की तैयारी कर रही है। वे यूरो-7 मानकों के अनुरूप भारत स्टेज (बीएस)-7 और कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी (सीएएफई)-III मानकों को लागू करने की योजना बना रहे हैं। ताकि ईंधन दक्षता (फ्यूल एफिशिएंसी) बढ़े और उत्सर्जन में कटौती की जा सके।


भारत में बीएस मानक यूरोप में इस्तेमाल किए जाने वाले यूरो उत्सर्जन मानकों के समान हैं। यूरोपीय आयोग जुलाई 2025 तक कारों के लिए और 2027 तक बसों और लॉरी के लिए यूरो-7 मानकों का प्रस्ताव दे रहा है। भारत द्वारा इन मानकों को अपनाना न सिर्फ उत्सर्जन को कम करने के लिए बल्कि 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत बने वाहनों को यूरोपीय देशों में निर्यात करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इन नए मानकों को लागू करने के लिए हितधारकों के साथ सहयोग की जरूरत है। खास तौर पर तेल कंपनियों को ईंधन की गुणवत्ता में सुधार के लिए और ऑटो उद्योग को, जिन्हें महत्वपूर्ण निवेश की जरूरत हो सकती है।


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क परिवहन मंत्रालय हितधारकों के साथ बीएस7 उत्सर्जन मानकों के डिटेल्स को रेखांकित करने के लिए बातचीत कर रहा है। ताकि उन्हें विकसित हो रहे यूरो-7 मानकों के अनुरूप बनाया जा सके। सीएफई मानक कार निर्माताओं के फ्लीट उत्सर्जन को कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने और ईंधन दक्षता बढ़ाने के लिए कंट्रोल करते हैं।


सख्त उत्सर्जन और सीएफई मानदंडों की ओर बढ़ने से भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। चूंकि सड़क परिवहन क्षेत्र सीओ2 उत्सर्जन और शहरी वायु प्रदूषण में बहुत योगदान देता है, इसलिए पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए ये उपाय महत्वपूर्ण हैं।

हालांकि ये मानक वाहन प्रदूषण को दूर करने में प्रगति का इशारा करते हैं, लेकिन ये वाहन उद्योग और तेल कंपनियों के लिए चुनौतियां भी पैदा करते हैं। नीति निर्माताओं के लिए एक ज्यादा टिकाऊ परिवहन प्रणाली की ओर बढ़ते समय पर्यावरण संबंधी चिंताओं को उद्योग व्यवहार्यता के साथ संतुलित करना एक अहम विचार है।

इन परिवर्तनों से डीजल से चलने वाले ज्यादा वाहनों को बंद किया जा सकता है। और नए उत्सर्जन मानकों को पूरा करने वाले सभी वाहनों की कीमतों में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हो सकती है। जो भारतीय वाहन उद्योग में खासा बदलाव का संकेत देता है।

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