बीता साल बहुत कुछ सिखा गया ,
कुछ खुशी की तो कुछ गम की यादें दे गया l
नफरत थी जिनके मन में वह भी परिवार के पास लौट आए ,
और कुछ इतने दूर चले गए कि वापस ही ना आ पाए l
कहीं पूरा परिवार साथ आया ,
तो कहीं कोई अपना मुंह मोड़ गया l
जहां लगता था कि घर में क्या रखा है,
वहां पूरा साल घर में ही बीत गया l
कुछ साथ आए गए कुछ गम की सौगात दे गए,
कुछ से मन भर गया तो , कुछ को देखने के लिए तरस गए l
वैक्सीन की उम्मीद में साल बीत गया और हम नए साल में आ गए l
रीतिक्षा जैन