सोलर पावर सिस्टम के तहत नेट मीटरिंग व्यवस्था कोबन्द करने का विरोध

सोलर पावर सिस्टम के तहत नेट मीटरिंग व्यवस्था कोबन्द करने का विरोध

भीलवाडा । मेवाड चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री ने राजस्थान विद्युत नियामक आयोग को आपत्तियां दर्ज कराते हुए, आयोग की ओर से जारी नये ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के तहत 10 किलोवाट तक के एलटी एवं घरेलू उपभोक्ताओं को छोडकर उद्योग एवं अन्य संस्थानों में लगे रुफटॉप सोलर पावर सिस्टम के तहत नेट मीटरिंग व्यवस्था को बन्द करने का विरोध किया है।

मेवाड चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के मानद महासचिव आर के जैन ने बताया कि नियामक आयोग ने नये ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर 21 जनवरी तक आपत्तियां मांगी है। मेवाड चेम्बर ने आयोग को लिखा है कि ऐसा करना केन्द्र एवं राज्य सरकार की सोलर ऊर्जा नीति एवं प्रधानमंत्री के 2025 तक कार्बन डिस्चार्ज को कम करने के वादे के विरुद्ध होगा। केन्द्र सरकार ने देश में मार्च 2022 तक 100 गीगावॉट एवं राजस्थान सरकार ने इसके तहत 25 गीगावॉट सोलर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। राज्य की सोलर नीति में इसके लिए रुफटॉप सोलर प्रोजेक्ट के लिए नेट मीटरिंग व्यवस्था की घोषणा की है।

नेट मीटरिंग व्यवस्था के तहत उद्योग में स्थापित रुफटॉप सोलर प्रोजेक्ट से उत्पादित ऊर्जा के स्वयं के उपयोग के बाद ग्रीड में दी जा सकती है या कम पडने पर ग्रीड से ली जा सकती है। जितनी ऊर्जा ग्रीड से ली जायेगी, उसी का बिल देय होगा। अब नई व्यवस्था के तहत पहले सारी उत्पादित सौर ऊर्जा डिस्कॉम को निर्धारित दर पर देनी होगी, जो कि वर्तमान में 3.25 रुपये प्रति यूनिट है। उपयोग की गई सारी ऊर्जा का बिल वर्तमान दर 7.30 रुपये पर डिस्कॉम को देना होगा। उत्पादित सौर ऊर्जा पर स्वयं के उपयोग पर भी 4.05 रुपये का प्रति यूनिट का नुकसान होगा, जो कि विभिन्न उद्योग में लाखो से करोडों रुपये का वित्तिय भार बन जायेगा। ऐसे में उद्योग लाखों रुपये लगाकर सौर ऊर्जा उपकरण नही लगायेगे एवं सौर ऊर्जा उत्पादन की योजना का एक मजबूत कडी रुफटॉप सोलर प्रोजेक्ट समाप्त हो जायेगे।

जैन ने बताया कि राजस्थान में विद्युत दरें अन्य राज्यों से वैसे ही बहुत ज्यादा है एवं अपनी विद्युत लागत कम करने के लिए उद्योग सौलर प्रोजेक्ट लगा रहे है। नई नीति से उसका औचित्य ही खत्म हो जायेगा एवं विशेषरुप से लघु एवं मध्यम इकाईयां विशेषरुप से भीलवाडा की वीविंग इकाईयों के लिए बडा आर्थिक संकट पैदा हो जायेगा।

उन्होंने बताया कि गुजरात की नई नीति में सुबह 7 बजे से सायं 6 बजे तक उत्पादित विद्युत ऊर्जा का उसी समय उपयोग पर छूट दी जा रही है, वहीं राजस्थान में उसके विपरित किया जा रहा है। नीति आयोग की ओर से भी वर्ष 2040 तक वैकल्पिक ऊर्जा का उत्पादन कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य रखा गया है। नियामक आयोग की ओर से जारी नई नीति इन सबके विपरित है। अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ वातावरण के लिए कोयले का उपयोग कम कर वैकल्पिक ऊर्जा को प्रोत्साहित किया जा रहा है एवं भारत सरकार ने भी इसी दिशा में प्रयास किये जा रहे है।

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