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बीजेपी ,बगिया, फूल , बागी ओर कांटे बागी नहीं हटे तो लक्ष्य असंभव- कटारिया 

बीजेपी ,बगिया, फूल , बागी ओर कांटे बागी नहीं हटे तो लक्ष्य असंभव- कटारिया 


भीलवाड़ा। मौका था सहाड़ा रायपुर उप चुनाव में नामांकन की अंतिम तारीख ओर तीन बार चुनाव हार चुके "73" वर्षीय भाजपा नेता और पूर्व मंत्री डॉ रतन लाल जाट के पर्चे भरने का। चुनावी फार्म भरने के लिए बड़े भाजपा नेताओं की "रेलमपेल" रही। कहने को तो बड़े बड़े नेता आज इस जलसे में शुमार थे, लेकिन चुनावी सभा में भाजपा के आम चुनाव में प्रत्याशी रहे ओर इस बार भी टिकट से वंचित रहे सह्रदय  "रूप जी" "खुले गले" से कुछ नहीं बोल सके। केवल लोगों को बताने के लिए उन्हें "साथ साथ" रखा गया। अब मंच के माहौल पर नज़र डालिए कि गंगापुर के इतिहास से गहरा नाता ओर प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका रखने वाली पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम लेना तो दूर मंच पर उनकी तस्वीर को भी जगह नहीं मिली। यह बात दीर्घा में मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं को भी अखरी लेकिन कहते किससे । कोई सुनने वाला भी तो हो। हालांकि भाजपा ने नामांकन के लिए अपने जुलूस का आगाज इसी गंगा बाई मंदिर से किया जिससे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का पुराना नाता था। बताया जाता हैं कि यह सिंधिया परिवार का ही मंदिर हैं।खैर चुनावी सभा थी बीजेपी की वाही वाही तो होनी ही थी । मगर चुनावी सभा से लौट रहे थे तो मार्ग  में ही कारोही के पास हाल ही में बने "लेटे हनुमान जी मंदिर के दर्शन के दौरान वही भाजपा के कद्दावर नेता और राजस्थान के  पूर्व गृहमंत्री एवं प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया जी मिल गए। माहौल चुनावी था और वो भी आये ही इसलिए थे तो सवाल पूछ लिया कि क्या लगता है ।जवाब में वो इतना ही बोले कि तीनों उप चुनाव में जब तक नाम वापसी नहीं होती हैं तब तक कुछ कहना मुश्किल हैं। वो बोले कि "बागी" बड़ी चुनौती है हमारे लोग भी खड़े हैं वो नहीं बैठे तो लक्ष्य बहुत असंभव सा लगता हैं। इसका मतलब साफ हैं   यानी  फूल वाली बीजेपी की राह में बागी कांटो के रूप में बिछे है। यह नहीं हटे तो राह आसान नहीं है। अब इतने बड़े नेता इतने बड़े मौके पर इतनी बड़ी बात "बेबाक" कह गए ।  उन्होंने यह भी कहा कि गहलोत सरकार अपने करमों से गिरेगी। संविदा पर तीन लाख लोग हैं उन्हें स्थाई करने का वादा कर उनकी कोहनी पर गुड़ लगा दिया हैं। बेरोजगारी भत्ता एक लाख साठ हजार फिक्स कर दिया हैं।  बच्चे हैं 15 लाख कैसे देगें। बिजली की दरें परेशान कर रही ही।कानून व्यवस्था में असफल हैं। अधिकारी गांठ नहीं रहे। इससे लगता है मामला गंभीर है । वहाँ से निकलने के थोड़ी देर बाद ही उड़ते उड़ते खबर मिली कि एक "दमदार बागी" के बेंगलुरु बाजार को डिस्टर्ब करने का काम शुरू किया जा चुका है ताकि बागी उसमें व्यस्त रहे और ज्यादा नुकसान देह नहीं रहे। लेकिन एक बड़े कांटे का क्या करोगे क्योंकि वो भी तो रुठा हुआ क्योंकि  उसके अरमानों पर तीसरी बार पानी फिरा हैं। जब वो पिछली बार चुनाव लड़े तो वर्तमान में फूल खिलाने के जुटे हुए इस पूरे परिवार ने उनके रास्ते में कितने कांटे बिछाए यह सबको पता हैं।